हमार टीवी के नॉएडा स्थित प्रधान कार्यालय में कुछ महीनो पहले जब नेतृत्वा का बदलाव हुआ तो उम्मीद की गई थी की चैनल अब बेहतर करेगा लेकिन हमार प्रबंधन ने जब पटना से कर्मठ रिपोर्टरों अमित और प्रणय प्रियंवर की छुट्टी कर दी तभी यह तय हो गया की आगे पटना ब्यूरो का भगवान् ही मालिक है. पटना ब्यूरो से जब इन दोनों युवा रिपोर्टरों को बाहर किया गया उस वक़्त पटना के ब्यूरो आनंद कौशल की घर वापसी हो चुकी थी. आनद समन्दर में दूर निकल चुके जहाज के परिंदे की तरह हमार से निकले थे और वापस उन्हें हमार पर ही ठौर मिला. अमित और प्रणय की विदाई के बाद रिपोर्टर के तौर पर पटना में सिर्फ एक नाम बचा सीटू तिवारी का. आनन् फानन में हमार ने अपने दो जिला संवादाताओ नेहा गुप्ता और एस.के. राजीव को पटना में रिपोर्टर के तौर पर योगदान करा दिया. उस दौर में हमार के पटना कार्यालय में कुल चार कैमरा मेन राजेश, सिन्धु मनीष , समर्थ और महताब अपनी सेवाए दे रहे थे. पटना से न्यूज़ बुलेटिन का प्रसारण का पहले ही बंद किया जा चूका था और न्यूज़ एंकरों का नया डेरा नॉएडा बन चूका था.
चैनल के मालिको के आपसी पचड़े ने हमार के पत्रकार भाइयो का जो हाल किया वो किसी से छुपा नहीं है. चैनल की रेटिंग लगातार गिरती रही, कर्मचारियों की वेतन उधारी लिस्ट में चढ़ती रही. अब ऐसे में डूबते कश्ती की सवारी कोई कबतक करता. खबर है की हमार के कर्मियों ने अब नया ठिकाना बनाना शुरू कर दिया है. हमार से निकले गए प्रणय प्रियंवर बिहार - झारखण्ड से शुरू होनेवाले नए चैनल आर्यन का दामन पहले ही थाम चुके थे और अब चैनल की एकमात्र प्रतिभावान रिपोर्टर सीटू तिवारी भी आर्यन में योगदान कर चुकी है. पटना कार्यालय में खासतौर पर रिपोर्टिंग के लिए लाये गए एस.के. राजीव भी एक नए चैनल केटीएन का हाथ थाम चुके हैं. अब ऐसे में चैनल के साथ पटना से रिपोर्टर में सिर्फ एक ही नाम बचाता है नेहा गुप्ता का.
ताजा खबर यह है की चैनल के तीन कैमरा मेन ने वेअतन नहीं मिलाने के चलते काम पर आना ही बंद कर दिया है. ये तीन कैमरा मेन हैं राजेश, समर्थ और रांची ब्यूरो से पटना लाये गए शाहिद. इन्हें पिछले तीन महीने का वेतन नहीं मिला है. वन्ही आपको यह भी बता देना होगा की पटना हमार के के अन्य कैमरा मेन सिन्धु मनीष पहले ही आर्यन का रुख कर चुके हैं. अब हालात यह है की हमार पटना में कैमरा मेन के नाम पर सिर्फ एक नाम महताब का ही बचा है. इन लोगो के अलावा चैनल को दो स्ट्रिंगरो का सहारा जरुर है.
अब ऐसे हालात में सवाल यह उठता है की क्या वाकई हमार प्रबंधन मंदी का शिकार है? अकेले पटना से विज्ञापन के तौर पर चैनल की होने वाली कमाई को देखकर ऐसा नहीं लगता. सूत्रों की माने तो राज्य सरकार के एक मंत्री जी के कार्यक्रम के कवरेज के लिए अगर मोटी राशी दी गई तो वन्ही प्रदेश के एक बड़े नेता जी ने जब एक बड़ी पार्टी का दामन अपने गृह जिले में थमा तो उसका सीधा प्रसारण करने के लिए भी चैनल को पैसा मिला. एक अन्य महात्मा जी का रोज चैनल पर प्रसारण हो रहा है और बदले में बड़ी विद्यापन राशी भी आ रही है. अब ऐसे में हमार चैनल प्रबंधन से एक सवाल करना होगा की जब इतनी कमाई अकेले पटना से हो रही है तो पटना कार्यालय में कर्मियों को वह वेतन क्यों नहीं दे रहा है. निश्चित है हमार प्रबंधन की नियत में शुद्धता की घोर कमी है और उसका नजरिया अपने कर्मचारियों के प्रति बिलकुल घटिया.
अब ऐसे में हमार के छोटे कर्मो क्या करेंगे, जब उनके वरिष्ठो को मोटी तनख्वाह हर महीने उनकी आँखों के सामने मिल रही हो इसलिए हमार में अब भगदड़ और तेज होनी तय है. डूबते कश्ती की सवारी कोई करना नहीं चाहता और अगर आने वाले दिनों में कई और चेहरे हमार पटना का साथ छोड़ जाये तो शायद ही ज्यादा आश्चर्य हो. हम तो हमार चैनल प्रबंधन से सिर्फ इतना ही कहना चाहेंगे की भले ही वो अपने चैनल के अन्दर काम करते वक़्त अपने पत्रकारों को वेतन नहीं दे सके हो लेकिन कम से कम अपनी लाज बचने के लिए चैनल का साथ छोड़ जाने के बाद तो पत्रकारों के बकाये वेतन का भुगतान कर ही दे.
जय पाटलिपुत्र....... जय पत्रकार..............